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टीबी अस्पताल खुद टीबी का शिकार।

भोपाल।(सुलेखा सिंगोरिया)  टीबी के अस्पताल को रेस्पिरेटरी सेंटर बनाने के लिए मेहनत कि जा रही हैं उस अस्पताल के हाल देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि मरीजो से पहले अस्पताल का इलाज किया जाये। जी हाँ टीबी के अस्पताल ने जहां साफ-सफाई का स्पेशली ख्याल रखा जाना चाहिए वहाँ मरीजो को लेकर घोर लापरवाही दिखाई जा रही हैं। ज़िम्मेदारो कि लापरवाही का अंदाजा मरीजो के बेड के हालत देख कर लगाया जा सकता हैं जहां बेडशीट चार से पाँच दिन बाद और कंबल 15 से 20 दिन बाद बदला जाता हैं। यही खाने के नाम पर भी यही हाल हैं। अस्पताल प्रबन्धक कि ओर से मरीजो को सुबह 8 बजे नाश्ता और दोपहर 12 बजे खाना दिया जाता हैं। शाम तो 7 बजे दिया जाता हैं। लेकिन, खाने के चार रोटी, दो चम्मच दाल और दो चम्मच सब्जी दी जाती हैं। मरीज के लिए यह खाना पर्याप्त नहीं होता हैं। परिजनो के लिए कोई व्यवस्था नहीं हैं। ऐसे मे बाहर को आने वाले मरीजो को खाने के लिए परेशान होना पड़ता हैं।

बच्चो को लेकर लापरवाही....... टीबी संक्रमण से फैलता हैं ऐसे मे मरीजो के वार्ड ने जाने से पहले मास्क पहनकर या मुंह कपड़े से ढंक कर जाने कि सलाह दी जानी चाहिए। लेकिन यहाँ बच्चे वार्ड के अंदर के साथ ही पिता के बेड पर खेल कूद कर रहे हैं। लेकिन वह पर ऐसा कोई पैरामेडिकल स्टाफ नहीं जो रोके।

डॉ॰ एके श्रीवास्तव, अधीक्षक, टीवी अस्पताल- मैंने आज ही चार्ज संभाला हैं। अस्पताल देखकर लगता है सुधार कि बहुत ज़रूरत हैं। साफ-सफाई से लेकर दूसरी तमाम व्यवस्थाओ मे बदलाव करने होंगे। हम कार्ययोजना बनाकर व्यवस्थाओ को सुधारेंगे ताकि मरीजो को इसका अधिक से अधिक लाभ मिल सके।

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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