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आरोपी फरहत अफजल नेट बैंकिंग के जरिए निकलता था रोज 40-40 हजार रु।


भोपाल। मदरसे से डेढ़ करोड़ का गबन करने वाला फरहत अफजल फारुखी के पास दो लग्जरी कार थी, साथ ही बेटे को भी 17 लाख की बाइक दिला रखी थी। जबकि उसका वेतन महज दो हजार रु था। साफ हैं कि यह सारे एशों-आराम गबन किए गए पैसो से किए जा रहे थे। मदरसे का संचालन 103 वर्षीय बुजुर्ग तैय्यबा बी के सामने फारुखी ने सहयोगी मुइनउद्दीन के साथ मिलकर ऐसा वातावरण बनाया कि वो तैय्यबा बी का विश्वास अर्जित कर लिया। उनकी सहानुभूति अर्जित करने के लिए वह गुरबत औए मुफलिसी का जिक्र करता। इसके चलते वर्ष 2014 में उसे मदरसे में नौकरी दे दी गई। तैय्यबा बी की प्रॉपर्टी में शामिल हयात मार्केट की देखरेख और किराया वसूली का जिम्मा उसे सौंप दिया गया। फारुखी ने मुईनउद्दीन के साथ मिलकर मदरसे के कामों में हाथ बंटाने के लिए अपनी पत्नी किश्वर की भी एंट्री करा दी। किश्वर ने भी सभी की विश्वस्त बन गई। इसके चलते हयात मार्केट के किराए और मरम्मत के नाम पर खर्चे का हिसाब मदरसा समिति की चार बैठकों में नहीं रखा। एक बैठक में उसने बताया कि तैय्यबा बी ने मार्केट की छत उसके नाम कर दी है। अपने पक्ष में उसने लीज डीड की कापी दिखाई तो उसमें लीज अवधि का उल्लेख 30 वर्ष का था। मुईनउद्दीन ने भी फारुखी का पक्ष लिया। इस पर समिति के सचिव इजहार रसूल, कोषाध्यक्ष मो. सोहेब कुरैशी, वरिष्ठ सदस्य इकबाल हफीज और मो. असलम खान चुप रहे। फारुखी के बढ़ते खर्चे, रहन-सहन के बदलाव को लेकर भी सदस्यों को शक था। समिति के सदस्यो ने जांच-पड़ताल की तो पता चला कि मदरसे के बैंक खाते से एक करोड़ पांच लाख रुपए 2016 के बाद निकाले गए। यह राशि नेट बैंकिंग और तीन-चार बार चैक से ट्रांसफर हुई। तब पुलिस को मामला सौंप दिया गया। क्राइम ब्रांच ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

फारुखी ने हयात मार्केट के छत की एक फर्जी लीज डीड 30 साल की अवधि की तैयार करा ली। उसने फर्जी आवेदन के जरिए बैंक से चेक बुक और नेट बैकिंग की सेवा भी हासिल कर ली। इसके बाद वह रोज 40-40 हजार रुपए नेट बैंकिंग के जरिए निकालने लगा। बैंक में मोबाइल नंबर अपना दर्ज करा दिया ताकि मैसेज सिर्फ उसे मिले।

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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