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गुजरात सरकार ने आयुष्मान भारत योजना के 15 हजार कार्ड किए रद्द।

अहमदाबाद। शुक्रवार को फर्जी तरीके से बनाए 15 हजार आयुष्मान कार्ड गुजरात सरकार ने रद्द कर दिये हैं। हालांकि, अब भी 5 हजार फर्जी कार्ड होने की आशंका है। गुजरात में 33 लाख परिवारों के 1.65 करोड़ लोगों के कार्ड बने हैं।


दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य योजना ‘आयुष्मान भारत’ में गड़बड़ी को रोकने के लिए गुजरात सरकार एंटी फ्रॉड स्क्वॉड बनाने का भी ऐलान किया है। स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख सचिव जयंती रवि ने बताया कि केंद्र सरकार की एंटी फ्रॉड यूनिट के प्रतिनिधि गुजरात आए थे। नवंबर 2019 में कच्छ के गांधीधाम और राजकोट में फर्जीवाड़े की शिकायतें दर्ज हुई थीं। इस संबंध में अलग-अलग जिलों में केस भी दर्ज किए गए हैं। जयंती रवि ने साफ किया कि आयुष्मान कार्ड की जालसाजी वाले मामलों में अब फौजदारी का मुकदमा चलेगा।

 3 जनवरी को खुलासा हुआ कि आयुष्मान भारत योजना में सबसे ज्यादा गड़बड़ी गुजरात में सामने आई है। गुजरात में एक ही परिवार के नाम पर 1700 लोगों के कार्ड बनाए गए हैं। इस योजना के तहत 5 लाख रुपए तक मुफ्त इलाज की सहूलियत मिलती है। आयुष्मान योजना सितंबर 2018 में शुरू की गई थी। 

अधूरी जानकारी पर बनाए गए कार्ड
गुजरात सरकार ने शुक्रवार को बताया कि कॉमन सर्विस सेंटर्स में काम करने वाले अस्थायी मुलाजिमों ने महज 300-500 रु. लेकर बिना जरूरी पड़ताल के कार्ड जारी कर दिए। ऐसे कई मुलाजिमों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। उन पर मुकदमा भी दर्ज किया गया है। यह कार्रवाई दो महीने से चल रही है। जबकि, यह मामला निजी अस्पतालों से भी जुड़ा हुआ है, जिन्होंने इलाज कराकर पैसे क्लैम भी कर लिए हैं। उन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इसी तरह राज्य के किसी जिम्मेदार अफसर के खिलाफ भी कार्रवाई नहीं हुई है।

वही, छत्तीसगढ़ में भी एक ही परिवार के 109 कार्ड बने होने की बात सामने आई। जहां परिवार के 57 लोग आयुष्मान कार्ड के जरिए आंखों की सर्जरी भी करा चुके हैं। इस पर छत्तीसगढ़ सरकार ने शुक्रवार को कहा कि फर्जीवाड़ा नहीं हुआ है। यह मामला मूलतः लिपकीय त्रुटि का है न कि आर्थिक अनियमितता का। फर्जीवाड़े जैसी स्थिति इस पूरे मामले में नहीं हुई।

एएसजी अस्पताल के प्रकरण की जांच मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के माध्यम से कराई गई थी। जिसमें यह पाया गया कि त्रुटिवश एक कम्प्यूटर ऑपरेटर द्वारा 109 सदस्यों का नाम एक परिवार में जोड़ दिया था। इसकी सूचना तत्काल ही नेशनल हेल्थ एजेंसी (भारत सरकार) को देते हुए आगे ऐसी स्थिति न बने इस संबंध में निवेदन भी कर लिया गया था।

 

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सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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