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ट्रांसजेंडर पर्सन्स एक्ट मे नववर्ष पर नए नियम जोडने की कोशिश मे राज्य, वित्त वर्ष मे ले सकता हैं कानून का रूप।

भोपाल। 2014 मे सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडरों को तीसरे लिंग के तौर पर मान्यता दी थी। तब संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत उनके मानवधिकारों को पहली बार सुरक्षित किया गया था। 2019 मे ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट) एक्ट लागू किया गया। जिसमे ट्रांसजेंडरों के कानूनी अधिकारो को सुरक्षित किया गया। अब राज्य शासन इन कानून ने नए नियम बनाएँगी। जिसका नोटिफिकेशन हाल ही मे क्रेन्द सरकार ने जारी कर दिया हैं। संभवत: नए वित्तवर्ष से इनकी सुरक्षा, सहायता, सामाजिक पुनर्वास  का कानून अमल मे आ जाएंगा। इसके क्रियान्वयन की ज़िम्मेदारी कलेक्टर की होगी। अगर कोई किसी भी ट्रांसजेंडर को उसके ट्रांसजेंडर होने पर कोई आपत्तिजनक टिप्पणी करता हैं या उसे सामाजिक रूप से लज्जित करने का प्रयास करता हैं तो उसे अधिकतम दो साल की सजा हो सकती हैं या कोर्ट उस पर जुर्माना लगाकर भी छोड़ सकती हैं। इसी तरह अगर किसी घर मे कोई शिशु  ट्रांसजेंडर के रूप मे जन्म लेता हैं तो उसे कोई भी जबरन नहीं ले जा सकेगा और न ही उसे संतान के अधिकार से रोका जा सकेगा। ट्रांसजेंडर को अब किसी आयोजन मे शामिल होने या स्पर्धा मे भाग लेने से नहीं रोका जा सकेगा। ट्रांसजेंडर को कौशल उन्नयन के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा ,ताकि वह स्वरोजगार हासिल कर सके। ट्रांसजेंडर पर्सन्स (प्रोटेक्शन ऑफ राइट) एक्ट के मुताबिक अब प्रदेश मे सेंट्रल के मॉडल एक्ट को लाने के लिए सामाजिक न्याय एवं निशक्त जनकल्याण विभाग ने तैयारी शुरू कर दी हैं। इसके चलते अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान से ट्रांसजेंडर का अध्ययन कराने का निर्णय लिया हैं। इसके बदले विभाग 8 लाख रु संस्थान को देगा। इसको रिपोर्ट आने के बाद शैक्षणिक, सामाजिक, आर्थिक और पुनर्वास की ज़रूरत आदि के आधार पर नियम बनाए जाएगे इसके लिए वित्त विभाग बजट देने को अपनी सैध्दांतिक मंजूरी दे चुका हैं।   

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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