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भोपाल में कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत की वजह वेंटिलेटर

भोपाल(अभिलाषा मिश्रा)

शहर मे जो वेंटिलेटर मरीजों की साँसे बचाने के लिए है अब वही मरीजो की जान लेनें की वजह बन रहा है। भोपाल मै कोरोना की पहली और दूसरी लहर में करीब 3 हजार मरीजों को एनआईवी और मैकेनिकल वेंटिलेटर पर शिफ्ट हुये एक हजार मरीजों में से 775 की मौत हो गई है। ये मौते एक घंटे से लेकर 26 दिन तक के इलाज के दोरान हुई है, 331 मरीज एसे है जिनको मैकेनिकल वेंटिलेटर पर शिफ्ट किया ओर 24 घंटे मे उनकी मौत हो गई। यह जानकारी पॉज़िटिव पेशेंट की लाइन स्टेटस रिपोर्ट की डैथशीट ने दी गई है। इनमे 846 मरीजो की मृत्यु की कोविड हिस्ट्री है। ये जो एनआईवी वेंटिलेटर मास्क के जरिये मरीज को सीधे प्रेशर से ऑक्सीज़न को सीधे फेफड़े तक पोहचने वाली मशीन है।जबकि  मैकेनिकल वेंटिलेटर में मरीज को ट्यूब से मुह के जरिये हाई प्रेशर से ऑक्सीज़न देते है शहर के छोटे और बड़े अस्पतालो में ऐसी लापरवाही के कारण मरीजो कि जान गई है।  जानकारी से पता लगाया है कि वेंटिलेटर से ज्यादा मौते क्यो हुई, अस्पतालो के इंफेक्शन कंट्रोल प्लान कि पड़ताल मै पता चला कि सरकारी और प्राइवेट अस्पतालो के आईसीयू,एचडीयू,ऑक्सीज़न सपोर्टिड बेड वार्ड में इंफेक्शन कंट्रोल गाइडलाइन का पालन नहीं किया जा रहा है। वेंटिलेटर कि ईटी पाइप,ऑक्सीज़न प्वाइंटर पर लगे हयूमीडिफायर हर 6 घंटे मे साफ करना चाहिए लेकिन यह दिन मै एक ही बार साफ हो रहा है। छोटे नर्सिंगहोम्स तो छोड़िए, एम्स, जेपी,हमीदिया जैसे बड़े अस्पतालो में भी यही स्थिति है। इसकी जांच करने वाली इन्फेक्शन कंट्रोल कमेटी ने कोविड और नॉन कोविड वार्ड मे वायरल, बैक्टरिया की जांच नहीं की है। वेंटिलेटर की सफाई न होने की वजह से मरीजो को यहा ज्यादा दिन भर्ती रहना पड़ता है ओर उन्हे दूसरी बीमारी संक्रामक बीमारियो का भी खतरा बढ़ जाता है और वेंटिलेटर पर कोविड मरीजों की मौतों के पीछे यही सबसे बड़ा कारण है

    इधर हमीदिया अस्पताल मे इमरजेंसी यूनिट में 5 मरीज आईसीयू सपोर्ट पर है सभी के पलंग के ऊपर बने ऑक्सीज़न प्वाइंट के हयूमीडिफ़ायर  में प्रेशर ज्यादा होने से तेज बुलबुले उठ रहे है। इसमे हयूमीडिफ़ायर का रंग पीला हो गया है। जबकि इसमे साफ होना चाहिए था। यहा भरी मरीज ने बताया की 4 दिन से इसकी सफाई नहीं हुई है,जबकि 3 दिन से वेंटिलेटर ट्यूब भी साफ नहीं हुआ है।

डॉ॰ मनीषा श्रीवास्तव,एमएस का कहना है कि – मरीज को जब मैकेनिकल वेंटिलेटर पर शिफ्ट करते है, तब ईटी ट्यूब साफ करके ही लगाते है। हयूमीडिफ़ायर का पानी जरूरत पड़ने पर बदला जाता है।

 

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