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जिन्हे गरीब माना,उनका ही आयुष्मान कार्ड

भोपाल

राज्य सरकार ने 7 मई को सरकारी और निजी अस्पतालो  को निर्देश दिये थे कि वे सीएम कोविड आयुषमान योजना के तहत गरीब कोविड मरीजों का 5 लाख रुपए तक का इलाज फ्री करें। भोपाल ने इसके लिए 15 सरकारी और 118 निजी अस्पतालों से करार किया गया, इनमे 4153 बेड कोविड मरीजों के लिए रिजर्व किए। इनमे 3299 सरकारी और 854 निजी बेड है, लेकिन योजना के लॉन्च होने के बाद से 25 मई तक आयुष्मान कार्ड वाले 722 कोविड मरीज ही भर्ती हुए। शहर में 716341 लोगों के पास आयुष्मान कार्ड है। हेरनी कि बात ये है कि 21 मई तक निजी सपटल मे 147 मरीज कोरोना के भर्ती हुये है, और सरकारी अस्पताल मे 486 मरीज भर्ती थे। लेकिन 25 मई को निजी अस्पतालो में 531 मरीज और सरकारी मे 181 मरीजों कि संख्या हो गई। जबकि इन चार दिन में योजना के तहत सिर्फ 79 कोविड मरीज भर्ती हुये। और यह खुलासा 7 मई के बाद शहर में आयुष योजना से इलाज करने वाले मरीजों कि रिपोर्ट से हुआ है। संभागीय संयुक्त संचालक स्वास्थ (भोपाल) डॉ अम्रतलाल मरावी ने बताया  कि कोविड में बेड रिज़र्वेशन का कोई सिस्टम नहीं है। प्राइवेट अस्पताल मे योजना के तहत उसी मरीजकों इलाज मिलेगा, जो अस्पताल मे भर्ती होते समय आयुष्मान कार्ड दिखाएगा। इसी वजह से कोविड के कई मरीज निजी अस्पतालों में भर्ती हुए। और इधर कलेक्टर अविनाश लावनीय ने बताया कि पहले जो रिपोर्ट बनाई गई थी, उनमे कुछ आंकड़े गलत दिये गए थे। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक सीएम कोविड आयुष्मान योजना के लागू होंगे के बाद से 1300 से ज्यादा कोविड मरीज भर्ती हों चुके है। इनमे 50% मरीज आयुष्मान वाले हैं इनमें भी 637 मरीज निजी अस्पतालों,जबकि 304 सरकारी में भर्ती हुए। मुख्यमंत्री ने जब से कोविड आयुष्मान योजना कि घोषणा लांच की है,तब से आयुष्मान कार्ड बनवाने के लिए नगर निगम  के वार्ड कार्यालयों में भीड़ बढ़ गई है। लेकिन कागजात देखने और कम्प्युटर पर जांच करने के बाद इनसे कह दिया जा रहा है। की कार्ड नहीं बन सकता। वजह है – केंद्र सरकार का एक निर्देश,जिसमे कहा गया है, कि 2011 कि आर्थिक सामाजिक गणना में जिन लोगों के नाम गरीबों कि सूची में, सिर्फ उन्हे ही इस योजना का लाभ मिल सकता है। योजना में केंद्र की हिस्सेदारी 60% है।इसलिए केंद्र की अनुमोदित सूची के आधार पर ही कार्ड बन रहें। यह सूची एनआईसी के सर्वर पर है। वार्ड स्तर पर बनी कोविड मैनेजमेंट कमेटियों की बैठक में यह मुद्दा उठ चुका है। लेकिन अभी तक समाधान नहीं निकल पा रहा।

 

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सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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