भोपाल :( नुजहत सुल्तान ) डॉ. आकांशा माहेश्वरी की आत्महत्या के मामले में गांधी मेडिकल कॉलेज (हमीदिया) पर उठ रहे सवाल आकांशा के परिजनों का आरोप हैं कि 40-40 घंटे ड्यूटी से परेशान होकर बेटी ने आत्महत्या की हैं उसने सुसाइड से पहले बताया था कि उससे 40-40 घंटे ड्यूटी कराई जा रही हैं | वह बहुत परेशान हैं वो हमेशा वर्क प्रेशर की बात करती थी हमेशा बोलती थी कि पापा अब नहीं झेला जाता मैं पढ़ाई छोड़ने को तैयार हूँ जांच में सामने आया हैं कि चार मरीजों को बेहोश करने के लिए एनेस्थीसिया का जितना डोज़ दिया जाता हैं, उसका चार गुना अधिक डोज़ आकांशा ने लिया था जिसके कारण उसकी मौत हुई लेकिन सवाल यह उठता हैं कि आकांशा यह इंजेक्शन लाई कहां से ? क्योंकि डॉक्टर श्रीवास्तव ने बताया कि यह इंजेक्शन हमारे डिपार्टमेंट में नही मिलते और यह इंजेक्शन आमतौर पर किसी को भी आसानी से नहीं मिलते हैं | ये उसके पास कहां से आया ? उन्होने बताया कि आकांशा एच-ब्लॉक हॉस्टल में रहती थी, और हमारे यहां रोस्टर अनुसार ड्यूटी लगाई जाती थी और बुधवार को आकांशा ने सुबह 7 बजे कॉल करके तबीयत खराब का बताया था और कहा था कि वह ड्यूटी पर नहीं आएगी और शाम को उसके रूम में उसका शव मिला | गुरुवार को आकांशा का शव लेने पहुंचे परिजनों ने आरोप लगाया हैं कि उसकी मौत आत्महत्या नहीं हैं हमें अंदेशा हे कि मौत के बाद उसके कमरे से सबूत हटाए गए हैं | उन्होने कहा हम अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ एफआईआर करने गए थे, सुबह 9 से दोपहर 1 बजे तक बैठे रहे लेकिन अफसरों के दबाव में एफआईआर दर्ज नहीं की गई | दूसरी और कोहेफिज़ा थाना टीआई विजय सिसौदिया का कहना हैं कि परिजनों के आरोपों की कार्रवाई पुलिस जांच के बाद ही की जाएगी |
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