भोपाल : एमपी बोर्ड की 10वीं 12वीं की परीक्षा के पेपर परीक्षा से पहले ही मोबाइल पर पहुंचने से पूरा सिस्टम सवालों के घेरे में हैं बोर्ड की इन दोनों परीक्षा के पेपर सेट करने से लेकर सेंटर तक पहुँचाने की प्रक्रिया बड़ी सावधानीपूर्वक पूरी की जाती हैं | यह प्रक्रिया सात महीने पहले अगस्त से शुरू की जाती हैं, इसके लिए शिक्षकों को संभाग स्तर पर ट्रेनिंग भी दी जाती हैं | हर संभाग से विषयवार 2-2 3-3 शिक्षकों को पेपर तैयार करने की ज़िम्मेदारी सौंपी जाती हैं | अक्टूबर में पेपर बनाने इन्हें भोपाल बुलाया जाता हैं ये यही बोर्ड के रेस्ट हाउस मे रुकते हैं, ये शिक्षक हिन्दी और अंग्रेज़ी वर्जन के पेपर के साथ साथ मॉडल आंसर भी तैयार करते हैं | यह काम पूरी गोपनियता के साथ किया जाता हैं मॉडरेटर पेपर के पांच सेट तैयार करते हैं | मॉडरेटर द्वारा तैयार पेपर को सेट करने के लिए विषय विशेषज्ञ को बुलाया जाता हैं | ये गलतियां सुधारकर पेपर सील बंद लिफाफे में पैक कर देते हैं | इन पांच सेट मे से कोई दो प्रिंट के लिए प्रिन्टर को भेजे जाते हैं | ये पेपर बोर्ड के चेयरमैन, सेक्रेटरी या अन्य अधिकारी भी नही देख सकता | नवंबर में पेपर छपकर तैयार हो जाते हैं, जिस दिन पेपर होता हैं उससे तीन या चार दिन पहले सील बंद लिफाफे में ज़िला स्तर पर चुनी गई संस्था में बोर्ड के अधिकारी यह बॉक्स लेकर जाते हैं | इसी संस्था से पेपर केंद्राध्यक्ष को दिए जाते हैं तो यह पेपर थाने में ले जाए जाते हैं थाने में इनकी एंट्री होती हैं | पेपर होने के डेढ़ घंटे पहले केंद्राध्यक्ष, सहायक केंद्राध्यक्ष, डीईओ द्वारा नियुक्त शिक्षक एवं कलेक्टर द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि की मौजूदगी में थाने के लॉकर से पेपर का बॉक्स खोलकर पेपर के बंच निकालते हैं, इस पर डीईओ प्रतिनिधि, कलेक्टर प्रतिनिधि एवं संबंधित थाना प्रभारी के साइन होते हैं | सेंटर पर पेपर शुरू होने से आधा घंटा पहले केंद्राध्यक्ष और परीक्षार्थी के दस्तखत होने के बाद ही पेपर के पैकेट खोले जाते हैं | हर लेवल पर पूरी गोपनियता रखी जाती हैं इसके बाद भी पेपर लीक होने से हैरत होती हैं | गौरतलब हैं कि इस पूरी प्रक्रिया में सबसे अहम किरदार केंद्राध्यक्ष और सहायक केंद्राध्यक्ष का होता हैं यही वजह हैं कि विभाग द्वारा निलंबित किए गए 9 लोगों में केंद्राध्यक्ष और सहायक केंद्राध्यक्ष ही शामिल हैं | थाने से सेंटर तक पेपर ले जाने का जिम्मा इन्हें का हैं इस कारण इन्ही पर ज़्यादा संदेह हैं |
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