भोपाल / मध्यप्रदेश : मप्र में शिक्षा के लिए स्कूल तो बनवा दिए गए लेकिन ये स्कूल सड़क से आधा से एक किलोमीटर की दूरी पर है और स्कूल तक पहुँचने का रास्ता कच्चा होने के कारण बरसात में यहां पानी भर जाता है जिससे बच्चों को स्कूल तक पहुँचने में दिक्कत होती हैं और बच्चे स्कूल छोड़ देते है | हालांकि सरकारी दावों के हिसाब से प्रदेश के 1.25 लाख स्कूलों में छात्रों की संख्या 1 करोड़ 60 लाख बताई गई है इसमें सरकारी व निजी स्कूलों के बच्चे शामिल है | मप्र में दस सालों में 20.3 % के हिसाब से लगभग 1.90 करोड़ जनसंख्या बढ़ी, लेकिन सरकारी स्कूलों में बच्चे 39 लाख कम हो गए पिछले दस सालों में स्कूली शिक्षा पर 1.50 से 2 लाख करोड़ रु. खर्च हो चुके है फिर भी स्कूलों में बच्चो की संख्या का स्तर घटता ही जा रहा है | इसका मुख्य कारण रास्तों का खराब होना माना गया हैं | स्कूल शिक्षा में 2022-23 में 27 हज़ार करोड़ रु. का बजट प्रावधान था, इसमें से 15205 करोड़ ही खर्च हुए नर्मदापुरम जिला मुख्यालय से 33 किमी दूर गाँव सुपलई में टीनशेड वाले स्कूल में कक्षा 1 से 5वीं तक के 27 बच्चे हैं 9 महीने पहले ही गाँव विस्थापित हुआ लेकिन स्कूल की बिल्डिंग अभी तक नहीं बनी बच्चो को खराब कच्चे पथरीले रास्ते से गुज़र कर स्कूल पहुँचना पड़ता है स्कूल तक जाना ही बच्चों के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं है | इसी तरह कई जगह स्कूलों तक पहुँचने के रास्ते खराब होने से बच्चे स्कूल ही छोड़ देते है जिससे स्कूल शिक्षा विभाग के अनुसार एक साल में ही 2.11 लाख बच्चे घट गए | यह गिरावट तब है जब प्रदेश में 370 सीएम राइज़ स्कूल खोले जा रहे हैं | बजट भी 27 हज़ार करोड़ से बढ़ाकर 31 हज़ार करोड़ रुपए कर दिया गया है | सरकार के स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के दावों के बावजूद देश में मप्र अभी भी 15वें पायदान पर है | स्तर सुधारने के लिए सरकार 6300 करोड़ रुपए में सीएम राइज़ स्कूल खोल रही हैं 77 नए स्कूल बनाए जाने के लिए 2800 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए है इन स्कूलों में बच्चों के पहुँचने के लिए सड़क बनवाई जाएगी जिससे बच्चे स्कूल तक आसानी से पहुँच सके |
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