ग्वालियर : सत्र 2020-21 में 364 नर्सिंग कॉलेजों को भूतलक्षी प्रभाव से संबद्धता देने के मामले में सीबीआई ने जांच रिपोर्ट मप्र हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में शुक्रवार को पेश की, कुल 30 कॉलेजों की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि 50% सरकारी नर्सिंग कॉलेजों में भी मानक के अनुसार व्यवस्थाएं नहीं हैं | सीबीआई की टीम को वहां कमियां मिली | इस पर जस्टिस रोहित आर्या और जस्टिस सत्येन्द्र कुमार सिंह की डिवीजन बेंच ने कहा कि मप्र के डीएमई के खिलाफ केस चलना चाहिए क्योंकि उन्होने एडवोकेट जनरल प्रशांत सिंह (एजी) के माध्यम से कोर्ट में गलत जानकारी प्रदान की, उन्होने प्रदेश सरकार की कार्यप्रणाली पर भी शंका जताते हुए कहा कि कल्पना कीजिए कि यहाँ सरकार कैसे काम कर रही होगी | यहाँ किसी भी प्रकार की कोई व्यवस्था सही ठंग से नहीं है केवल झूठ बोला गया है | नर्सिंग कॉलेजों को संबद्धता देने वाली संस्था, मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी की कार्यप्रणाली पर गंभीर नाराजगी जताते हुए जस्टिस आर्या ने ये भी कहा कि यूनिवर्सिटी में इतने बड़े – बड़े अधिकारी बैठते हैं उनको इतना टाइम कहाँ है ये सब देखने के लिए कि कॉलेज ठीक है या नहीं ? ये सब देखना छोटे – मोटे इंस्पेक्टरों का काम है | अधिकारियों ने इतनी जहमत भी नहीं उठाई कि ये देख लें कि जिन कॉलेजों को संबद्धता प्राप्त हुई है उन्हे एक बार देख लें कि, हॉस्टल है या नहीं, पढ़ाने की जगह है या नहीं, टीचर है या नहीं, बस फ़ैसला हो गया कि 364 कॉलेजों को संबद्धता मिलना है तो मिलना है भले ही उसमें खामियां हो | कोर्ट ने नर्सिंग अस्पतालों में ट्रेनिंग लेने आए छात्रों का रिकॉर्ड नहीं होने पर भी नाराजगी जाहिर की, और सीबीआई से इस दिशा में भी जानकारी एकत्रित करने के लिए कहा है | अगर सीबीआई जांच नहीं करती तो ये लोग सब बर्बाद कर देते | डिवीजन बेंच ने अब सीबीआई को प्रदेश के सभी नर्सिंग कॉलेजों की जांच करने के आदेश दिए हैं | मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी तब तक परीक्षा पर रोक जारी रहेगी |
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