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शहर का वेस्ट प्लास्टिक माइक्रो प्लास्टिक के रूप में शहर की मिट्टी में घुल रहा यह माइक्रो कण केमिकल रिलीज कर बड़े तालाब को करेंगे दूषित, गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ेगा |

भोपाल :( नुजहत सुल्तान )  क्या आपको पता है इंटरटेनमेंट की चीजे जैसे चिप्स, नमकीन, बिस्किट्स, पानी और कोल्ड ड्रिंक्स की बोतलें और कैरी बैग्स जो हम कहीं भी घूमने जाते समय अपने साथ ले जाते हैं | पैकेज्ड फूड के रैपर, पानी की बोतलें,  इन्हें खाने पीने के बाद हम जिस जगह बैठे होते हैं वहीं इन्हें फेंक देते हैं | लेकिन हम ये नही जानते कि इनके फेंकने से धरती पर कितना प्लास्टिक वेस्ट इकठ्ठा हो चुका है | जिसके कारण यहाँ की मिट्टी में भी इसके कण घुल मिल गए हैं | मिट्टी में माइक्रो प्लास्टिक के पार्टिकल्स किस मात्रा में घुल चुके हैं, यह पता लगाने के लिए हाल ही में इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) और (आईसर) ने मिलकर सेंट्रल इंडिया की पहली माइक्रो प्लास्टिक स्टडी की, तो  जांच में पाया गया कि शहर का प्लास्टिक वेस्ट अब माइक्रो प्लास्टिक के रूप में शहर की मिट्टी में घुल गया है | जिसके कण पानी में भी नज़र आने लगे हैं इन्हें समय पर कंट्रोल नहीं किया गया तो यह माइक्रो कण केमिकल रिलीज कर बड़े तालाब के पानी को दूषित कर देंगे | यह स्थिति अगर नही रुकी तो  भविष्य में इन केमिकल्स के ज़रिए न्योरो सिस्टम से जुड़ी परेशानियां लोगों में बढ़ जाएंगी | आईसर भोपाल के डिपार्टमेंट ऑफ केमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डॉ. संकर ने बताया कि यह रिसर्च स्टडी हाल ही में प्रकाशित हुई है | इसके लिए हमने वन बिहार में 10 अलग-अलग स्थानों से 1-1 किलो मिट्टी के सैंपल लिए, इनको इकठ्ठा करने के बाद जब हमने इनका छानकर एनालिसिस किया तो हमें 752 माइक्रो प्लास्टिक पार्टिकल्स मिले | कुछ-कुछ जगहों पर 180 से ज़्यादा पार्टिकल्स पाए गए, जिनका आकार 500 माइक्रॉन से लेकर 5 मिलीमीटर तक था | माइक्रो प्लास्टिक कई तरह से हमारे शरीर में पहुँच रहे हैं, जिनमें सबसे खतरनाक है पैकेज्ड फूड और पैकेज्ड पानी यह बनने और पैक होने के बाद आपके पास पहुँचने से पहले कई महीनों और दिनों तक गोदामों से लेकर दुकानों तक कई बार धूप के एक्सपोजर में रहते हैं | एक्सट्रीम हीट के कारण प्लास्टिक के केमिकल्स पानी और फूड प्रोडक्ट्स में मिलने लगते हैं, इनको खाना असल में कार्सेनोजेनिक है इसके उपयोग को यदि अभी कंट्रोल नहीं किया गया तो लोगों में क़ैसर जैसी गंभीर बीमारियां तेज़ी से बढ़ जाएंगी |

 

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प्रधान संपादक समाचार संपादक
सैफु द्घीन सैफी डॉ मीनू पाण्ड्य
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