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भोपाल गैस त्रासदी के 40 साल बाद भी यूनियन कार्बाइड के आसपास के इलाकों में ग्राउंड वॉटर में हेवी मेटल मौजूद होने से कैंसर का खतरा |

भोपाल : 16/03/2024 :( नुजहत सुल्तान )  गौरतलब है कि आज से करीब 40 साल पहले 2 दिसंबर 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड की कीटनाशक फैक्टरी से कम से कम 30 टन अत्याधिक जहरीली गैस का रिसाव हुआ था | इस जहरीली गैस की चपेट में 6 लाख से अधिक की आबादी आ गई थी | इस घटना के तुरंत बाद हजारों लोग मारे गए थे, और उसके बाद से हजारों लोग इस जहरीली गैस से प्रभावित होकर अपनी जान गवां चुके हैं | इस जहरीली गैस ने 40 साल बाद भी लोगों पर कैंसर, विकलांगता जैसी समस्याएं छोड़ी हैं | 40 साल गुज़र जाने के बाद भी यूनियन कार्बाइड के आसपास के इलाक़ो में ग्राउंड वॉटर में हेवी मेटल मौजूद हैं | केंद्रीय भूजल प्राधिकरण (सीजीडब्ल्यूए) ने एनजीटी के निर्देश पर यूनियन कार्बाइड के चारों ओर 36 जगहों से ग्राउंड वॉटर के सैंपल लिए थे | जिसमें यह बात सामने आई है कि ग्राउंड वॉटर में 7 जगहों पर नाइट्रेट तय सीमा से अधिक पाया गया है | रेलवे स्टेशन के पास ग्राउंड वॉटर में 142 मिग्रा/ लीटर नाइट्रेट मिला है, जबकि यह अधिकतम 45 मिग्रा/ लीटर होना चाहिए | दो स्थानों मंगलवारा और गोलघर में फॉस्फेट का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की ओर से निर्धारित सीमा से अधिक मिला है | 99% सैंपल में ग्राउंड वॉटर घरेलू उपयोग के लिहाज से हार्ड पाया गया यानि केल्शियम और मैग्निशियम का स्तर तय सीमा से अधिक मिला है | 11 जगहों पर आयरन की मात्रा अधिक पाई गई | हेवी मेटल युक्त पानी दिखने में साफ सुथरा और शुद्ध नज़र आता है, पर इसे लगातार पीने से कई तरह के कैंसर हो सकते हैं, इसके अलावा आंत, किडनी और हड्डियों की घातक बीमारियां भी हो सकती हैं | 40 साल बाद भी लोगों में इस जहरीली गैस का असर दिखाई दे रहा है, लोगों में कई तरह की घातक बीमारियां उत्पन्न हो रही हैं | 40 साल बाद भी गैस त्रासदी पीड़ित लोगों को राहत नहीं मिल पाई है |

 

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