भोपाल : 20/03/2024 :( नुजहत सुल्तान ) कई दिनों से आचार संहिता के नाम पर सीएम स्वेच्छानुदान स्वीकृति की प्रक्रिया बंद कर दी गई है, इसका खामियाजा वो मरीज भुगत रहे हैं, जिन्हें तुरंत इलाज की आवश्यकता है | उन्हें अगर समय पर इलाज नहीं मिला तो उनकी जान भी जा सकती है | मप्र मुख्यमंत्री सचिवालय में रोजाना ऐसे 20-30 मामले पहुँचते हैं | लोकसभा चुनाव के कारण आचार संहिता करीब 81 दिनों तक लागू रहेगी और मरीजों को इलाज के लिए पैसा नहीं मिलेगा | यानि गंभीर मरीजों का इलाज रुकने से होने वाली मौत का कारण आचार संहिता हो सकती है क्योंकि अफसरों का कहना है कि आचार संहिता लागू होने के कारण स्वेच्छानुदान की राशि नहीं दे सकते | इधर निर्वाचन आयोग का कहना है कि ऐसे मरीजों के इलाज की राशि सीधे अस्पताल में ट्रांसफर करने पर रोक नहीं है | नियमों के तहत सिर्फ ऐसे मामलों को सीएम स्वेच्छानुदान के तहत मंजूर किया जा सकता है, जिसमें इलाज के लिए दी जा रही राशि सीधे अस्पताल के खाते में जाए, न कि मरीज के खाते में | कुछ ऐसे ही मरीजों से बातचीत के दौरान सभी मरीजों का दर्द यही था कि जब आचार संहिता के बीच दूसरे सरकारी कामों के लिए रास्ते निकाल लिए जाते हैं तो भारत निर्वाचन आयोग मानवीय पहलू के आधार पर हल क्यों नहीं निकालता ? इस पर मुख्यमंत्री सचिवालय के अफसरों का कहना है कि ऐसे मरीजों का प्रस्ताव बनाकर भारत निर्वाचन आयोग से अनुदान राशि स्वीकृत करने की अनुमति लेंगे | मंत्री गोपाल भार्गव और इंदौर से विधायक राकेश शुक्ला ने भी मानवीय पहलू के आधार पर सीएम स्वेच्छानुदान शुरू करने के लिए भारत निर्वाचन आयोग को पत्र लिखा है |
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