नई दिल्ली : 24/04/2024 : सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भ्रामक विज्ञापन का मुद्दा पतंजलि तक ही सीमित नहीं है यह उन सभी एफएमसीजी ( फास्ट मूविंग कंज़्यूमर गुड्स) कंपनियों तक है जो भ्रामक विज्ञापनों से जनता को धोखा दे रही हैं और इससे शिशुओं, बच्चों और बुजुर्गों को नुकसान हो रहा है | उनकी सेहत खराब होने का भय बना रहता है | सुप्रीम कोर्ट ने एफएमसीजी कंपनियों के भ्रामक विज्ञापनों पर सख्त रुख अपनाते हुए तीन केंद्रीय मंत्रालयों से पूछा कि वे इस दिशा में क्या ठोस कदम उठा रहे हैं, उसकी विवेचना करें | हाल ही में एफएमसीजी कंपनी नेस्ले के बेबी फूड में अधिक चीनी मिलने की रिपोर्ट के बीच सुप्रीम कोर्ट का यह रुख अहम था | कोर्ट ने पतंजलि मामले में याचिका लागाने वाले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) को भी अपना घर ठीक करने की हिदायत दी, कोर्ट ने आईएमए की ओर से पेश वकील से कहा कि एसोसिएशन पतंजलि पर उंगली उठा रही है, लेकिन ध्यान रखे कि बाकी चार उंगलियां आप पर भी उठ रही हैं | यह सब एफएमसीजी में ही नहीं हो रहा है आपके सदस्य भी ऐसे प्रोडक्ट का समर्थन कर रहे हैं | कोर्ट ने सख्त आपत्ति जताते हुए कहा कि आपके सदस्य (डॉक्टर) बहुत महंगी दवाएं और उपचार लिखते हैं, यह अनैतिक कृत्य है | आईएमए के सदस्यों की शिकायतें कई बार आपके पास भी आई होंगी, आईएमए ने उन पर क्या कार्रवाही की ? हम आपकी तरफ भी निशाना कर सकते हैं, जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, मैं चैनल का नाम नहीं लूँगा, खबर फ्लैश हो रही थी कि आज कोर्ट में ये हुआ,और बगल विज्ञापन आ रहा था कि यह केसी विडंबना है | कोर्ट ने इस मामले में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) भी प्रतिवादी बनाने का आदेश दिया है
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